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लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग 8 
अगली मूर्ति में नायिका वस्त्र पहने हुए थी । मूर्ति में इस कदर महीन काम किया गया था कि उसकी कला की प्रशंसा करने के लिए शब्द ढूंढे नहीं मिलते हैं । उत्तरीय जो संभवत: मलमल का रहा होगा , उसे इतना महीन और पारदर्शीं बनाया गया था कि उसमें से कंचुकी की किनारें नजर आ रही थीं । कंचुकी भी पारदर्शी थी जिसमें से नायिका के विकसित स्तनों को स्पष्ट देखा जा सकता था । उनकी पुष्टता को दृष्टिगत करते हुए यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता था कि वह नायिका नवयौवना न होकर एक पूर्ण विकसित युवती थी । कलाकार ने दोनों वक्षों पर 'एरिओला' अर्थात कुच मंडल को इस तरह उभारा था कि जिससे वह पहचाना जा सके । इसके अतिरिक्त स्तनाग्र को कठोर और तना हुआ दिखाया गया था । गौर से देखने पर चुचुकों के छोटे छोटे छिद्र भी दिखाई पड़ जाते थे । इतना महीन काम किया गया था कि उन कलाकारों के लिए मन आदर , सम्मान और श्रद्धा से झुक जाता है । ऐसी स्थापत्य कला न जाने कितने ही मंदिरों में बिखरी पड़ी हुई है । इस कला के पारखी लोग बहुत कम हैं यहां । कुछ लोग तो इन मूर्तियों को नष्ट करने ही आते हैं । बाकी लोग भगवान के दर्शन करने । इस कला को जानने वाले लोग अब कम ही हैं इस देश में । सपना भी इन मूर्तियों की कला को देखकर बहुत आश्चर्य चकित हुई । उसने कहा "वह यहां पर पहले कई बार आयी थी मगर आज जिस तरह आपने यह मंदिर दिखाया है, वैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था । आप वाकई कमाल हैं" । 
"ये तो शुरूआत है जानेमन ! आगे आगे देखना, अभी तो बहुत कुछ दिखाना है " शिव ने सपना को बांयी आंख मार दी । सपना मुस्कुरा उठी । 

अगली मूर्ति में नायिका अपने केशों का श्रंगार कर रही थी । उसके केश उसकी पिंडलियों को छू रहे थे । इस मूर्ति में नायिका के नितम्बों को पूरी तरह उभार कर दर्शाया गया था जिससे उसके नितम्ब बहुत भारी लग रहे थे । उसकी पीठ अनावृत थी बस कंचुकी की डोरी बंधी हुई थी पीठ पर । पीठ पर डोरी को विशेष रूप से उभार कर दर्शाया गया था जिससे उसकी पहचान हो सके । यहां तक कि डोरी की गांठ भी दिखाई दे रही थी । कितना महीन काम था पत्थर पर यह प्रत्येक मूर्ति से दृष्टिगोचर हो रहा था । 

इसके बाद जो मूर्ति थी उसमें आंखों में काजल लगाते हुए नायिका को दर्शाया गया था । नायिका की आंखें बड़ी बड़ी थी जिनमें नशे का सगर हिलोरें मार रहा था । उसके आगे वाली प्रतिमा में नायिका को आईलाइनर लगाते हुए दर्शाया गया । लगभग 1000 साल पहले भी महिलाऐं आईलाइनर का उपयोग करती थीं, ये बात इस मूर्ति से सिद्ध हो रही थी । 
"एक बात बताओ शिव, आपने कैसे पहचाना कि पहले वाली प्रतिमा में नायिका काजल और इस वाली प्रतिमा में आईलाइनर लगा रही है" सपना ने उत्सुकता से पूछा ।

"बहुत आसान है । पहले वाली प्रतिमा में नायिका की आंखों में काजल लगाने के लिए नायिका ने उंगली आंख में डाली है लेकिन दूसरी वाली प्रतिमा में उसने हाथ में एक पतली सी छोटी सी छड़ी नुमा कोई चीज पकड़ी हुई है जो यह बता रही है कि वह आईलाइनर लगा यही है । आगे वाली को देखो । उसने होठों पर लिपस्टिक लगाने के लिए हाथ में लिपस्टिक पकड़ी हुई है" 
"तो अंग्रेज यह क्यों कहते हैं कि लिपस्टिक उन्होंने बनाई है" ? 
"जिन लोगों को समृद्ध भारतीय संस्कृति का पता नहीं है वे ही कहते हैं ऐसा । अंग्रेज तो हमें अपमानित करना चाहते थे इसलिए वे ऐसा कहते थे । पर भारतीयों को भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का कहां ज्ञान है ? वे भी बिना जाने बिना समझे इसकी आलोचना करते रहते हैं । कुछ मूल लोग ऐसे हैं जिनकी आंखों पर अंग्रेजियत का चश्मा चढ़ा हुआ है । 
इस तरह शिव एक एक प्रतिमा का विशद वर्णन कर रहा था । एक प्रतिमा के सामने सपना रुक गई और कहने लगी "नायिका के सामने जो स्त्री खड़ी हुई है वह उदास क्यों है" ? 
शिव ने उस प्रतिमा को गौर से देखा फिर कहने लगा "वह उदास स्त्री उस नायिका की दासी है । दोनों के वस्त्र और आभूषणों से उनके "स्टेटस" का पता चल रहा है । उस स्त्री यानि कि दासी के उदास होने का कारण उसका स्त्रियोचित स्वभाव है" 
"स्त्रियोचित स्वभाव ? वो कैसे" ? 
"पुरुषों को बड़े स्तन और बड़े नितम्ब वाली स्त्रियां अधिक पसंद आती हैं । नायिका के वक्ष और नितम्ब दोनों विशाल हैं जैसा कि प्रतिमा में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहे हैं । इसलिए नायिका की आंखों में मद भरा हुआ है और चेहरे पर गर्व का भाव है जो उसकी मुस्कान से बयां हो रहा है । उसकी दासी के कुच और नितम्ब अपेक्षाकृत छोटे हैं । नायिका जानबूझकर ऐसी दासियां रखती हैं जो उनसे सुंदरता में कमतर हो , श्रेष्ठ नहीं । अधिक सुंदर दासी होने से नायिका में हीन भावना आ जायेगी । चूंकि दासी के वक्ष बहुत छोटे हैं और नितम्ब भी अपेक्षाकृत हल्के हैं इसलिए वह हीन भावना से ग्रसित है और इसी कारण वह उदास लग रही है" । 
"क्या बात है शिव ? आप तो स्त्रियों के मस्तिष्क को पढने में भी बहुत कुशल हैं । किस प्रकार आपने उसकी उदासी का वर्णन किया है, वह बेमिसाल है । एक बात बताओ कि क्या पुरुषों को वाकई बड़े उरोज और विशाल नितम्ब पसंद आते हैं" ? 
"बिल्कुल । यह बात सौ प्रतिशत सत्य है । आप फिल्मों में भी नायिकाओं को देख लो , जिनके पास "विशालता" है वही सर्वाधिक लोकप्रिय हैं । आजकल तो सर्जरी द्वारा हल्के वक्षस्थल को विशाल वक्षस्थल में परिवर्तित करवा लेती हैं लड़कियां । हां, एक बात और है कि बड़े स्तन वाली स्त्रियां अपने विशाल स्तनों का प्रदर्शन करने से भी नहीं चूकती हैं । वे स्वयं चाहती हैं कि पुरुष उनके विशाल स्तनों को देखें । उनके नितम्बों को देखें और मन ही मन उनकी प्रशंसा करें । अच्छा एक बात बताओ , कड़ाके की ठंड में भी स्त्रियां कोई गर्म कपड़े क्यों नहीं पहनती हैं" ? 

सपना सोच में पड़ गई । शिव की बात सही तो लग रही थी मगर वह ऐसे कैसे मान लेती ? आखिर नारीवाद जो आड़े आ रहा था । सोचकर बोली "स्त्रियों को ठंड कम लगती है इसलिए" । 
"किसने कह दिया कि स्त्रियों को ठंड कम लगती है ? उन्हें अपना 'फिगर' जो दिखाना है इसलिए । सारी कहानी इसी में सिमटी हुई है । अच्छा,  एक बात और बताओ कि कुछ स्त्रियां टाइट जीन्स या टाइट साड़ी क्यों बांधती हैं" ? 
"क्योंकि उन्हें पसंद हैं इसलिए" । 
"नहीं, क्योंकि उन्हें अपना नीचे वाला फिगर दिखाना है इसलिए । यह एक मनोविज्ञान है जिसमें लड़की चाहती है कि लड़का उसे देखे और उसके फिगर की प्रशंसा करे । जब लड़का ऐसा करता है तब वही लड़की उसे बदमाश, आवारा , बदतमीज बोल कर उसे अपमानित करती है और उसे इसमें आनंद आता है । बस, यही स्त्री मनोविज्ञान है" । शिव ने पूरा ज्ञान बघार दिया था । 
"क्या बात है शिव , आपने तो पूरा समां बांध दिया है । हम तो स्त्री होकर भी स्त्री को नहीं जानतीं और आपने पुरुष होकर भी स्त्री को एक खुली किताब की तरह प्रस्तुत कर दिया । कहां से जाना स्त्री मनोविज्ञान के विषय में" ? सपना उसके गले लग कर बोली 
"सब बता दूंगा । अब घर चलते हैं नहीं तो मां जी परेशान होंगी" और वे दोनों अपने घर आ गये । 

श्री हरि 
11.2.23 

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5 Comments

Alka jain

14-Feb-2023 12:37 PM

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

13-Feb-2023 11:53 AM

बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Feb-2023 04:37 PM

💐💐🙏🙏

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अदिति झा

12-Feb-2023 07:24 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Feb-2023 10:26 PM

💐💐🙏🙏

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